पुराने समय की तुलना में वर्तमान में आवागमन के साधनों में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई है। आजकल हर व्यक्ति के पास अपना कोई न कोई पर्सनल साधन है, जिसकी मदद से वो अपनी रोजमर्रा के काम करता है। इन आवागमन के साधनों की शुरुआत इनके टायर यानि पहिया बनाने से हुई थी। आज इसी पहिये के ऊपर दुनिया के करोड़ों वाहन चलते हैं। जिनकी सहायता से ही बहुत अधिक दुरी को कम समय में तय किया जाना मुमकिन हो पाया।
आज हम आपको भारत की सबसे बड़ी टायर कंपनी MRF के बारे में बताएँगे। इस कंपनी का Headquarter चेन्नई (भारत) में है।
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MRF का मालिक कौन है।
MRF का पूरा नाम मद्रास रबर फैक्ट्री है । इस कंपनी के मालिक के. एम. मम्मेन मप्पिलाई है । MRF का नाम आते ही हमारे ज़हन में सचिन तेंदुलकर के बल्ले पर लिखा हुआ नाम आता है या फिर गाड़ियों के टायर का ख्याल आता है , लेकिन हम आपको बता दें की के. एम. मम्मेन मप्पिलाई ने आजादी से पहले 1946 में कंपनी की शुरुआत केरल में एक गुब्बारा बनाने वाली कंपनी के तौर पर की थी। उस वक़्त उनके हालात बहुत ही ख़राब थे क्योंकि केरल के राजा ने आजादी की लड़ाई के लिए के. एम. मम्मेन मप्पिलाई की सारी सम्पति अपने कब्जे में कर ली थी। के. एम. मम्मेन मप्पिलाई बहुत मेहनती थे। वे एक झोले में गुब्बारे रखकर उन्हें बेचा करते थे। लेकिन उनके जीवन की नयी शुरुआत तब हुई जब उन्होंने 1954 में ट्रेड रबर उत्पादन का प्रशिक्षण लिया। 1961 में MRF को शेयर मार्किट में सूचीबद्ध किया गया। इसके बाद 1962 में MRF ने टायर बनाना शुरू किया और 1964 में अमेरिका जैसे देशों में भी निर्यात करना शुरू कर दिया।
MRF का कारोबार 2007 में एक अरब डॉलर तक पहुँच गया था । अगले चार सालों में कंपनी का बिज़नेस चार गुना बढ़ गया। वर्तमान में भारत का सबसे महंगा शेयर MRF का है। जिसकी वर्तमान कीमत लगभग 80000 है। फरवरी में इस शेयर की कीमत लगभग 96000 थी। आज कंपनी बेल्ट, ट्यूब, टायर, यहाँ तक की हवाई जहाज के टायर भी बनती है। यहाँ तक की MRF भारत की एकमात्र ऐसी कंपनी है जो Sukhoi 30 MKI सीरीज के लड़ाकू विमानों के टायर बनती है।
हम आशा करते हैं की अब आपको आपके सवाल का जवाब मिल गया होगा की MRF किस देश की कंपनी है और MRF का मालिक कौन है। यदि आपको हमारा लेख पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। आपका दिन शुभ रहे।